मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की दर्श अमावस्या आने वाली है। बहुत ही अच्छा योग बनने वाला है। इस अवसर को अपने हाथ से जाने न दें। इसमें आपको हरिद्वार जैसे विभिन्न तीर्थ स्थानों पर जाकर गंगा स्नान करना चाहिए तथा पितृ पूजा तर्पण करना चाहिए और अपने पूर्वजों के लिए गरीबों को जल दान करना चाहिए। क्योंकि पितृ देवता तभी अस्तित्व में आते हैं जब वे भी किसी ऐसे व्यक्ति की प्रतीक्षा करते हैं जो उन्हें जल, भोजन, वस्त्र दे और वे उस जल और भोजन को ग्रहण करके आपको आशीर्वाद देते हैं कि वे आपको यश, सम्मान और प्रतिष्ठा देकर जाएं क्योंकि मृत्यु के बाद उन्हें जल, वस्त्र और भोजन देने वाला कोई नहीं होता। इसीलिए कहा जाता है कि हमें जो यह जीवन मिला है, उसमें हमें दूसरों के लिए दान-पुण्य करते रहना चाहिए क्योंकि मृत्यु हमेशा हमारे साथ रहती है। जैसे ही हमारा समय आता है, वह हमें अपने साथ ले जाती है। इसलिए हमें दान-पुण्य करते रहना चाहिए ताकि इस धरती से जाने के बाद हमें कम परेशानियां हों। हम जो भी अन्न, जल, वस्त्र तथा विविध (अनेक प्रकार की) वस्तुएं दान करते हैं, वे सब गाय, पशु, पक्षी अथवा अन्य किसी रूप में पितरों को अवश्य प्राप्त होती हैं।
पितरों के निमित्त ब्राह्मणो को भोजन करवाना चाहिए और दक्षिणा देनी चाहिए
क्युकी संसार में ब्राह्मण नारायण का स्वरुप है इसलिए वो पूज्य नारायण ने भी ब्रह्मणो को पूज्य कहा है नारायण से पहले ब्राह्मण ही है इसलिए उनको भोजन जरूर करवाएं
इसलिए इस अमावस्या पर हमें हरिद्वार अथवा देश के किसी भी तीर्थ स्थान पर पितरों के लिए दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए।