विनियोगः– ॐ आकृष्णेति हिरण्यस्तूपाङ्गिरस ऋषिः त्रिष्टुप्छन्दः सविता देवता सूर्य पूजने विनियोगः ।
आवाहयेत् – ॐ आवाहयेतं द्विभुजं दिनेशं, सप्तश्वावाहं द्युमणिं ग्रहेशम् । सिन्दूर वर्ण प्रतिभाव भासं, भजामि सूर्य कुलवृद्धि हेतुम् ।।
ऋकू- ॐ आकृष्णेन रजसाव्वर्तमानो निवेशयन्न मृतम्मर्त्य च । हिरण्ण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
ॐ मित्रायनमः । ॐ रवयेनमः । ॐ सूर्यायनमः । ॐ भानवेनमः । ॐ खगायनमः । ॐ पूषणे नमः । ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ॐ मरीचये नमः । ॐ आदित्याय नमः। ॐ सावित्रे नमः । ॐ अर्कायनमः । ॐ भास्करायनमः ।। ध्यानार्थे पुष्पं, यथोपचारार्थे वस्तूनि समर्पयामि ।
ॐ भूर्भुवः स्वः कलिंग देशोद्धव कश्यपगोत्र रक्तवर्ण भगवान सूर्य नारायणः, इहागच्छेहतिष्ठ स्थाने च सुस्थिरो भव, यावत्पूजां करिष्यामि तावत्त्वं सुस्थिरो भव । सूर्याभिमुखः तिष्ठन् गंधाक्षत पुष्पयुक्तानि त्रीण्यर्घाणि दधात् ।
विनियोगः- ॐ तत्सवितुरित्यस्य विश्वामित्र ऋषिर्गायत्री छन्दः सविता देवता पूजने/सूर्यार्घ्यदाने विनियोगः ।
अर्घ्यम्- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सविर्तुवरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियो योनः प्रचोदयात् ।।
नमोऽस्तु सूर्याय सहस्र भानवे, नमोऽस्तु वैश्वा नर जातवेदसे । त्वमेव चार्घ्य प्रतिगृहाण देवं, देवाधि देवाय नमो नमस्ते ।।
एहि सूर्यः सहस्रांशी तेजोराशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकरः ।।
ॐ ब्रह्मस्वरूपिणे प्रत्यक्षदेव श्री सूर्यनारायणाय नमः इदमर्घ्य दत्तं न मम ।
इत्यर्घ त्रयं दत्वा दत्तार्बोदकेन चक्षुः श्रोत्रं स्पर्शनं च कृत्वा प्रार्थयेत्-
ॐ रक्ताम्बुजासन मशेष गुणैक सिन्धुः, भानु समस्त जगता मधिपं भजामि । पद्माद्वया भयवरान् दधतं कराब्जैः, माणिक्यः मौलिमरुणांगरुचिं त्रिनेत्रम् ।।
जो भी व्यक्ति भगवान् सूर्य की पूजा करना चाहते है तो उनको सबसे पहले येजानना जरुरी है की वो क्यों करे ये पूजा?
सूर्य नारायण जगत के साक्षात् देवता है और ज्योति के देवता है अगर कोई अंधा व्यक्ति सूर्य नारायण की उपासना करे तो उसको भी ज्योति प्राप्त हो जाये और जैसे सूर्य नारायण के उपासना का नियम है उसी प्रकार से करे तो सिद्धि अवश्य प्राप्त होगी
प्रात काल सूर्य के उदय होने से पहले उठना चाहिए
एक लोटे में शुद्ध जल लाल रोली अखण्ड चावल और पुष्प डाले
फिर उसको किसी शुद्ध स्थान पर ले जाये अर्घ्य देने के लिए स्थान अच्छा होना चाहिए
फिर सूर्य नारायण को अर्घ्य दीजिये
जब आप अर्घ देंगे जो जल चढ़ाया है वो आपके या किसी के पैरो में ना लगे यदि ऐसा हुवा तो जल चढ़ाया व्यर्थ हो जाता है इसलिए सावधानी जल चढ़ाये.
उस जल को अपनी आँखों में लगाइये और माथे पर भी लगाइये
अगर आप प्रत्येक दिवस सुबह उठकर अर्घ्य देते है तो आपके जीवन अँधेरा नहीं आता बुरी शक्तियों का प्रभाव जल्दी से होता नहीं है